कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है,
ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो,
क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है !
दिलको हमसे चुराया आपने ,
दूर होकर भी अपना बनाया आपने,
कभी भूल नहीं पायेंगे हम आपको,
क्योंकि याद रखना भी तो सिखाया आपने।
याद करते है तुम्हे तनहाई में,
दिल डूबा है गमो की गहराई में,
हमें मत धुन्ड़ना दुनिया की भीड़ में,
हम मिलेंगे में तुम्हे तुम्हारी परछाई में।
मौत के बाद याद आ रहा है कोई,
मिट्ठी मेरी कबर से उठा रहा है कोई,
या खुदा दो पल की मोहल्लत और दे दे,
उदास मेरी कबर से जा रहा है कोई।
दर्द को दर्द से न देखो,
दर्द को भी दर्द होता है,
दर्द को ज़रूरत है दोस्त की,
आखिर दोस्त ही दर्द में हमदर्द होता है!
सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट
जायेगाफिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगाअभी साथ है
तो बात कर लिया करोक्या पता कब साथ छूट जायेगा
3 टिप्पणियां:
क्या हिन्दी को तकनीक की भाषा के रूप में स्थापित करना चाहिए?
कृप्या, निचे दिए गए लिंक क्लिक करे और वोट में भाग ले.
http://indiandba.blogspot.com
आपका
अनूप
मिश्रा जी, नमस्कार ! मैं सलीम, नीलू भाई का भाई, पीलीभीत से वर्तमान में लखनऊ से. आप कैसे हैं? नीलू भाई से पूछा आपके बारे में. पता चला आप तो काफी क़रीबी निकले. लखीमपुर आना हुआ तो मैं ज़रूर मिलूँगा.
आप वाइल्ड लाईफ़ पर अच्छा लिख रहे हैं.
मेरे ब्लोग्स को अनुसरित करने के लिए शुक्रिया. आते रहिएगा मेरे अन्य ब्लॉग पर भी- स्वच्छ संदेश, ज़िन्दगी की आरज़ू.
पुनः शुक्रिया!
आप का छोटा भाई
सलीम
Respected Mishra ji,
bahut bhav poorna rachna.achchhe shilp ke sath.badhai.
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