बुधवार, 23 नवंबर 2011

Will the new identity of Dudhwa RHINOS

Dudhwa National Park rhinoceros family of three members, each member will soon find his identity ID number or name. Will be placed in the computer database record of the rhinoceros. This will happen to the rhino monitoring. Dudhwa administration's proposal by the plan is sent to the government. ID-based monitoring program will be conducted to study the Deputy Director of the Dudhwa Tiger Reserve will soon visit Nepal, Chitwan National Park.Dudhwa National Park is successfully running the world's unique rhinoceros rehabilitation project. Variance wayward rhinoceros family member is currently thirty-one. But maintenance is very difficult to even get the location. Although elephants have been monitoring the rhinos. For monitoring and location Dudhwa rhinos rhinos Aidivesd Administration made monitoring program. The proposal has been forwarded to the Government. If everything was all right to come here in some time to identify all of the rhinos will be given ID numbers or names.will. According to experts, the size of each rhinoceros horn and shoulders with different kinds of photos will be stored in the computer. Aibesd Nepal's Chitwan National Park is monitoring program because Ganesh Bhatt, Deputy Director, Dudhwa Tiger Reserve in Nepal to study the program will be soon

दुधवा के गैंडों को मिलेगी नयी पहचान


दुधवा नेशनल पार्क के तीस सदस्यीय गैंडा परिवार के अब प्रत्येक सदस्य को शीघ्र ही उनकी पहचान का आईडी नम्बर अथवा नाम मिल जाएगा। इसके लिए गैंडा का कम्प्यूटर में डाटाबेस रिकार्ड रखा जाएगा। इससे गैंडों की मानीटरिंग करने में काफी सहूलियत मिलेगी। दुधवा प्रशासन ने इस योजना का प्रपोजल बनाकर सरकार के पास भेजा है। आईडी बेस्ड मानीटरिंग प्रोग्राम का संचालन कैसे किया जाएगा इसके अध्ययन के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक शीघ्र ही नेपाल के चितवन नेशनल पार्क का भ्रमण करेंगे।
दुधवा नेशनल पार्क में विश्व की अद्वितीय गैंडा पुर्नवास परियोजना सफलतापूर्वक चल रही है। वर्तमान में इकतीस सदस्यीय गैंडा परिवार स्वच्छंद विचरण कर रहा है। लेकिन इनकी देखरेख करने में दिक्कतें आती है साथ ही लोकेशन भी नहीं मिलती है। हालांकि हाथियों द्वारा गैंडों की मानीटरिंग की जा रही है। गैंडों की निगरानी एवं लोकेशन के लिए दुधवा प्रशासन ने गैंडों की आईडीवेस्ड मानीटरिंग प्रोग्राम बनाया है। इसका प्रपोजल सरकार को भेज दिया गया है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले कुछेक समय में यहां के सभी गैंडों की पहचान के लिए आईडी नम्बर अथवा नाम दिया जाएगा। जानकार सूत्रों ने बताया मैनुअल मानीटरिंग में गैंडों की पहचान नहीं हो पाती है लेकिन जो अब कम्प्यूटर में डिजिटल डाटाबेस तैयार किया जाएगा उसमें प्रत्येक गैंडा की अलग अलग फोटो होगी एवं उसी के हिसाब से उनको आईडी नम्बर दिया जाएगा इस व्यवस्था से गैंडों की पहचान तुरन्त हो जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक गैंडा के सींग का आकार एवं कंधे अलग अलग तरह के होते हैं जिनके फोटो लेकर कम्प्यूटर में रखे जाएगा। आईबेस्ड मानीटरिंग प्रोग्राम नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में चल रहा है इस वजह से दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक गणेश भट्ट शीघ्र ही प्रोग्राम का अध्ययन करने के लिए नेपाल जाएंगे।

शनिवार, 19 नवंबर 2011

Dudhwa led occupation began in exotic birds

Uttar Pradesh Dudhwa National Park's only coming to visit the country - was opened to foreign tourists are where. Sayberian Smnudr words that come from across the seven birds to foreign guests gradually has begun. So living in the stillness of the forest, ponds and lakes is in the resonant sound of birds.Dudhwa National Park from November 15 has been opened for tourist visits. Dudhwa So where is the arrival of tourists. The annual winter migration to the exotic birds from overseas influx of icy mountains gradually have started. Dudhwa National Park in the Forest, including the Jadital Vynjiv Kishanpur the Banketal Vihar, Badital, Tiger pools, etc. Natural Jlsroton Cngatal, ponds and lakes freeze Sayberian birds have started their own camp.
WWF's coordinator Dr. Gupta Sayberia amused during the winter due to cold Siberian Vders different species drove thousands of miles of the ponds and lakes with Dudhwa gets into the nest on trees that are and to reproduce as soon as the summer including children - are going back to your country. Be immersed in the stillness of the influx of exotic birds in the ponds is resonant sound with the movement of birds. Dudhwa National Park tourists coming to visit, especially in the Siberian word for bird lovers are the focus of attraction.Wildlife experts in the field, Dr. Jaswant Singh said that the foreign guests kaler Ureshin Vijl birds, Red Krised Poci, laser Vilsing Duck, Rudy Seldk, pin rail, common code, Grelg Guls, Red Krusred poachard, Gadwal, Melard, Great Komart, Little Kromart, Northern Pentil, laser Adjtent, Tufed Siberian species of duck, etc. come in Word Kishanpur and Dudhwa.

Cranes came back Domojel
 Dudhwa Tiger Reserve covers an area along the Sarda river side promenade and sandy Kishanpur Vynjiv field and paddy crops in the past half a decade before the empty fields in the hundreds of foreign guests Cranes Domojel bird had come. Villagers in the new species as well as tourist attractions. But next year never came back so far Domojel Cranes. Why this has not been researched in any way.

मै बहुत धैर्यवान हूँ, सच बोलना और सुनना पसंद है,

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

Wildlife is ruining the river Suheli

Wildlife is ruining the river SuheliDudhwa National Park and the banks of the river flowing ever approximate the SuheliPrandayini were animals by giving them water. But Suheli Silting and natural change the river's wildlife has become an enemy.Silting from the hundreds of acres of lush pastures of the desert is dry and the lower parts is reduced. Most side effects it has on the life cycle is Barhsingon while looking for other places to visit villages where they do not mind the village's illegal to hunt. There is a steady decline in the number of wild animals. Government Administration respectively Suheli River cleanup - excavation has been spending money on the millions who were lost to Bandrbat contractors and officials. The result has turned out to be zero.Suheli river nearby forest and wildlife as a result of the destruction of rural areas has become due. The park administration officials responsible for the Deaf - the Suheli Bgir Binash watching a river.Due to their destruction is becoming now. In addition Gramimancl also adjacent to the river again and again the tragedy of floods are on the verge of clearing waste.Suheli The river flows from Nepal with rain water in the soil - sand comes. The deposition (Silting) has diminished due to the depth of the river around the Silting in the lower areas as they have been higher. Due to its nearest Nkuha seamless stream of water is not able to get. Consequently, the river has made a new channel PP sewer, culvert, drain the love in which the water was Suheli She also began to returnIs. Nkuha PWD road to the bridge on either side of the bridge Suheli Suheli Nkuha river water stream coming from the fast pace.But by the PWD are efforts being made to prevent erosion.Dudhwa road in the near future to widen the reduction of the trace is over 45 towns of the region including Nepal Tharu tribal nations can cut us to Dudhwa. Significantly, the natural changes in river Suheli also on the side nearest Graminancl starts. When a rain Ufnai Suheli river and surrounding countryside is filled in the fields is the most damage to crops. And rural, also again and again are forced to face the tragedy of floods.
मै बहुत धैर्यवान हूँ, सच बोलना और सुनना पसंद है,

सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

अमर उजाला काम्पेक्ट में छापा लेख 24.10.2011







http://compepaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20111024a_018110007&ileft=304&itop=61&zoomRatio=160&AN=20111024a_018110007

अमर उजाला काम्पेक्ट में छापा लेख 24.10.2011

अमर उजाला काम्पेक्ट में छापा लेख 24.10.2011

रविवार, 16 अक्टूबर 2011

दुधवा में नॅशनल ट्रेनिग प्रोग्राम का हुआ समापन, सीनियर जज ने दिए प्रमाण_पत्र

अहमदाबाद के सीनियर जज ने दिए प्रमाण-पत्र 

दुधवा नेशनल पार्क में एचएनजी गुजरात विश्वविद्यालय पाटन एवं स्मीथ सोनियम इंस्टीट्यूसन अमेरिका द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व के सहयोग से आयोंजित नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम के तहत यंग इकोलोजिस्टों को सात दिनी दिए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अहमदाबाद के सीनियर न्यायाधीश ने प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर उनको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। प्रशिक्षित प्रतिभागी अपने-अपने राज्यों में बड़े मांसाहारी वयंजीवों के प्रबंधन एवं संरक्षण के कार्य करेंगे।
दुधवा नेशनल पार्क में पूरे देश के चुने हुए बीस इकोलोजिस्टों को नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम के तहत सात दिनी प्रशिक्षण दिया गया। जिसके समापन समारोह में मुख्य अतिथि अहमदाबाद के सीनियर जज जयदेव धाधल ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए उनको बधाई दी और कहा कि इन लोगों ने सात दिन दुधवा में रहकर वन एवं वयंजीवों के संरक्षण का जो ज्ञान अर्जित किया है उसके आधार पर जब यह लोग अपने क्षेत्र के वन संरक्षण में कार्य करेंगे तो उसका लाभ वयंजीवों को मिलेगा। विशिष्ट अतिथि दुधवा टाइगर रिजर्व लखीमपुर के फील्ड निदेशक शैलेष प्रसाद ने वयंजीव संरक्षण के दौरान फील्ड में आने वाली तमाम कारगर जानकारियां दी। दिल्ली विश्वविद्यालय के डा0 फैयाज खुदसर ने दुधवा में व्यतीत हुए समय के संस्मरण बताते हुए कहा कि प्रतिभागियों को क्लास रूम, फील्ड वर्क के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है। उसी के आधार पर सभी ने प्रपोजल भी बनाए हैं जिसके आधार पर वह अपने-अपने राज्यों में बड़े मांसाहारी वयंजीवों के प्रबंधन एवं संरक्षण का कार्य करेंगे। इससे पूर्व टेªनिंग में शामिल हुए यंग इकोलोजिस्ट रोहित प्रजापति, दर्शन सुखाडिया, एसएल नियांगथिनाई, धवल मेहता, इलविश आर कोटरा, हार्दिक पटेल, याशमिता एन उल्मन, समीर वी वाजरू, बिबा जासमीन कौर, देवियानी आर सिंह, नीलमनी राभा, मनीशा तोमर, भौमिक जी सोनी, अभिषेक भोसले, नेहा पांडेय, योगेश पांडेय, श्वेता पुरोहित, संदीप प्रजापति, दर्शन पटेल, हरीश एन ने प्रशिक्षण के अनुभव बताते हुए वन एवं वयंजीव प्रबंधन तथा संरक्षण को लेकर बनाए गए अपने-अपने प्रपोजलों को भी बताया जिसके आधार पर वह आगे कार्य करेंगे। नेशनल टेªंिग प्रोग्राम के कोआर्डिनेटर उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय के डा0 निशीथ धारैया ने टेªनिंग के दौरान दुधवा प्रशासन द्वारा दिए गए सहयोग के साथ सभी के प्रति आभार जताया एवं प्रतिभागियों को बधाई दी।  15.10.2011

दुधवा में सात दिन की ट्रेनिग लेकर विदा गुए युवा यूंकॉलोजिस्ट  

युवा यूकोलाजिस्तो ने जंगल के बाहर निकल थारुओं से मिले



दुधवा नेशनल पार्क में यंग इकोलोजिस्टों को दी जा रही वयंजीव टेªनिंग के छठे दिन प्रतिभागियों ने जंगल से निकलकर समीपवर्ती आदिवासी जनजाति थारू क्षेत्र के गांवों का भ्रमण किया। इस दौरान परसिया ग्राम में प्रतिभागियों ने ग्रुप बनाकर अलग-अलग थारू समुदाय से मिलकर वन एवं वयंजीव संरक्षण में उनकी भागीदारी की जानकारी लेने के साथ ही उनके रहन-सहन तथा कृषि कार्यो को उत्सुकता देख आश्चर्य जाहिर किया।






दुधवा नेशनल पार्क में एचएनजी गुजरात विश्वविद्यालय पाटन तथा स्मीश सोनियन इन्स्टीट्यूसन अमेरिका द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व के सहयोग से नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम के अंर्तगत यंग इकोलोजिस्टों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके छठे दिन लार्ज कारनिभोर प्रोग्राम के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के वयंजीव विशेषज्ञ डा0 फैयाज खुदसर ने सभी प्रतिभागियों को जंगल के बाहर ले जाकर आदिवासी जनजाति थारू क्षेत्र का भ्रमण कराने के साथ ही गांवों में पहुंचकर थारू समुदाय के लोगों के रहन-सहन दिखाया। इस दौरान थारूओं के घर-आंगन को देखने के साथ ही पूछताछ कर तमाम जानकारियां हासिल की साथ ही ग्रामीण परिवेश की थारू संस्कृति एवं उनकी जीवन शैली को लेकर आश्चर्य भी व्यक्त किया। टेªनिंग कार्यक्रम के तहत परसिया ग्राम पहुंचे प्रतिभागियों ने चार-चार के ग्रुप बनाकर थारूजनों, महिलाओं तथा बच्चों के साथ मिल बैठकर उनसे वन एवं वयंजीव संरक्षण में वह कैसे भागीदारी निभाते हैं इसकी जानकारी हासिल की। डा0 फैयाज खुदसर ने बताया कि नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम में पूरे देश से चुने हुए बीस युवा इकोलोजिस्टों को वन एवं वयंजीव संरक्षण, सुरक्षा एवं प्रबंधन आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दुधवा नेशनल पार्क के समीपवर्ती वनवासी समुदाय की इसके संरक्षण में भागीदारी की विस्तृत जानकारी दी गई है।
14.10.2011





























मै बहुत धैर्यवान हूँ, सच बोलना और सुनना पसंद है,

बुधवार, 12 अक्टूबर 2011

युवा यूकोलोजिस्ट प्रशिक्षण कार्यशाला

दुधवा नेशनल पार्क में एचएनजी गुजरात विश्वविधालय पाटन एवं स्मीथसोनियन इंस्टीटयूशन अमेरिका द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व के सहयोग से नेशनल टे्रनिंग प्रोग्राम फार यंग यूकोलोजिस्ट कार्यशाला को क्लासरूम अध्ययन कराने के साथ ही फील्ड यानी जंगल के भीतर ले जाकर उनको तमाम प्रकार की जानकारियां विशेषज्ञों द्वारा दी गइ।
दुधवा नेशनल पार्क पर्यटन स्थल दुधवा में आयोजित सात दिनी इस कार्यशाला में पूरे भारत से चुने हुए बीस युवा यूकोलोजिस्ट प्रशिक्षण ले रहे हैं। कार्यशाला में दुधवा टाइगर रिजर्व वृत्त लखीमपुर के फील्ड डायरेक्टर शैलेष प्रसाद ने दुधवा की जैव विविधता पर विस्तार से प्रकाश डालकर दुधवा के वयंजीव प्रबंधन की बारीकी से जानकारियां दी। कोर्स के कोर्डिनेटर डा0 नितीश धूरिया ने वन प्रबंधन को बताते हुए उसका प्रोजेक्ट तैयार किए जाने तथा आवश्यक फंड आदि की विस्तार से जानकारी। जबकि मित्र राष्ट्र नेपाल से आए नेचर कंजरवेशन ट्रस्ट के वयंजीव विशेषज्ञ एल बाबूराम ने बाघ सहित अयं मांसाहारी तथा वनस्पति आहारी वयंजीवों की गणना के विषय में पूरी जानकारी दी साथ ही डिस्टेंस सैम्पलिंग विधि भी विस्तार से बतायी। यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क दिल्ली विश्वविधालय के वयंजीव विशेषज्ञ डा0 फैयाज खुदसर ने वनक्षेत्र में पायी जाने वाली वनस्पतियों के अध्ययन एवं उनकी वयंजीवों के लिए उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। क्लास रूम के बाद सभी प्रशिक्षार्णियों को जंगल भ्रमण कराया गया। इसमें चार ग्रुप बनाकर दुधवा के वफर जोन क्षेत्र में वैज्ञानिक तकनीकी से वनस्पतियों के अध्ययन के तरीके को बताया गया साथ ही डिस्टेंस सैम्पलिंग कैसे की जाए यह भी उनको जानकारी दी गर्इ। इससे पूर्व दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक गणेश भटट ने दुधवा की भौगोलिक सिथति एवं यहां पर पाए जाने वाले वयंजीवों तथा वनस्पतियों के सम्बन्ध में बताया। यह कार्यशाला पन्द्रह अक्टूबर तक चलेगी।


दुधवा नेशनल पार्क में नेशनल टे्रनिंग प्रोग्राम फार यंग इकोलाजिस्ट की चल रही सात दिनी टे्रनिंग के दौरान चौथे दिन वयं प्राणी विशेषज्ञों ने प्रशिक्षणर्थियों को रिमोट सेसिंग एवं जीआर्इएस की मदद से मांसाहारी वयंजीवों की मानीटरिंग के विषय में जानकारी दी गर्इ साथ ही शाकाहारी वयंजीवों की गणना विधि को भी बताया गया। इसके अतिरिक्त प्रतिभागियों को व्हीकल ट्रांजेक्ट कार्यक्रम में दुधवा के वफर जोन जंगल का भ्रमण कराकर उनको वयंजीवों से संबंधित बारीकियां समझायी गर्इ। 

दुधवा नेशनल पार्क में दुधवा पर्यटन स्थल के मीटिंग हाल में पूरे देश से चुने गए बीस युवा इकोलोजिस्ट को कंडक्टींग इफेकिटव रिसर्च आन लार्ज कार निमोर इकोलाजी एवं हैवीवेट के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत चौथे दिन मुम्बर्इ विश्वविधालय की प्रोफेसर श्रुति वरूवे ने लैडस्केप इकोला जी के विषय में तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां विस्तार से दी। नेपाल से आए नेचर कंजरवेशन ट्रस्ट आफ नेपाल के वयंजीव विशेषज्ञ एल बाबूराम ने प्रतिभगियों को रिमोट सेसिंग एवं जीआर्इएस की मदद से मांसाहारी वयंजीवों की मानीटरिंग के विषय में बताया साथ ही उन्होंने गैंडा के संबंध में पूरी जानकारी दी। डा0 निशीप धारिया ने मांसाहारी वयंजीवों के चिन्हों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इन चिन्हों के माध्यम से इनकी संख्या का निर्धारण कैसे किया जा सकता है। इस मध्य प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। 







सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

दुधवा में यूकोलोजिस्ट का प्रशिछान प्रोग्राम सात दिन चलेगा




दुधवा में यूकोलोजिस्ट का प्रशिछान प्रोग्राम सात दिन चलेगा 
दुधवा नेशनल पार्क के पर्यटन स्थल के मीटिंग हाल में नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम फार यंग यूकोलोजिस्ट कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला 15 अक्टूबर तक चलेगी। इसका उद्घाटन उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय पाटन की कुलपति हिमिक्षा राव ने किया। इसमें पूरे भारत से चुने गए बीस युवा यूकोलोजिस्ट शामिल हुए हैं जिनको भारत एवं नेपाल के वयंजीव विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगें।
दुधवा नेशनल पार्क में हो रही सात दिनी नेशनल टेªनिंग प्रोग्राम फार यंग इकोलोजिस्ट कार्यशाला का आयोजन एचएनजी गुजरात विश्वविद्यालय पाटन, स्मीश सोनिया इंस्टीट्यूशन अमेरिका तथा दुधवा टाइगर रिजर्व के सहयोग से किया गया है। नौ अक्टूबर से पंद्रह अक्टूबर तक चलने वाली इस कार्यशाला का उद्घाटन उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय पाटन की कुलपति हिमिक्षा राव ने फीता काटकर किया। श्रीमती राव ने कहा कि इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है प्रतिभागियों को मांसाहारी वयंजीवों के पर्यावास प्रबंधन के विषय में जानकारी देना है। साथ ही प्रतिभागियों को दुधवा टाइगर रिजर्व के अच्छे प्रबंध के लिए किए गए प्रयोगों के विषय में भी बताया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा0 फैयाज खुदसर ने बताया कि कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों को भारत एवं नेपाल के विख्यात वयंजीव विशेषज्ञ प्रशिक्षण देंगे। उद्घाटन कार्यक्रम के बाद पूरे भारत से चयनित होकर आए बीस युवा यूकोलोजिस्टों ने आपस में एक-दूसरे के परिचय का आदान प्रदान किया। लैंड स्केप आर्केटेक्ट मुम्बई की श्रीमती श्रुति ने बताया कि इस प्रोग्राम के दौरान प्रतिभागियों को कंडक्टींग इफेक्टिव रिसर्च आनलार्ज कार निभोर इकोलोजी एवं हैविटैट के संबंध में पूरी जानकारी देकर उनको प्रशिक्षण दिया जाएगा।



शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

दुधवा के गैंडो की नस्ल सुधारने को आसाम से आएगा नर गैंडा



दुधवा के गैंडो की नस्ल सुधारने को आसाम से आएगा नर गैंडा
यूपी के एकमात्र दुधवा नेशनल पार्क में चल रही विश्व की अद्वितीय गैंडा पुनर्वास परियोजना में एक ही पितामह नर गैंडा बांके की संतानों का परिवार होने से गैंडा परिवार के उपर अनुवांषिक प्रदूषण यानी अन्त:प्रजनन के खतरे की तलवार भी लटक रही है। इससे निपटने के लिए प्रदेश की सरकार ने पचास लाख रुपए की कार्ययोजना तैयार की है। इसमें नस्ल सुधारने यानी अनुवांषिक प्रदूषण से गैंडा परिवार को बचाने के लिए आसाम से एक नर गैंडा लाने के साथ ही उनके प्रवास का क्षेत्रफल भी बढ़ाया जाएगा।
दुधवा नेशनल पार्क की दक्षिण सोनारीपुर रेंज के 27 वर्गकिमी के जंगल को उर्जाबाड़ से घेरकर एक अप्रैल 1984 में गैंडा पुनर्वास परियोजना शुरू की गर्इ थी। तमाम उतार-चढ़ाव एवं साधनों व संसाधनों की कमी के बाद भी यह परियोजना काफी हद तक सफल रही है। करंटयुक्त फैंसिंग के अंदर एवं खुले जंगल-खेतों में स्वच्छंद विचरण करने वाले तीस सदस्यीय गैंडा परिवार का जीवन हमेशा खतरों से घिरा रहता है।पूर्वजों की धरती पर से एक सदी पूर्व विलुप्त हो चुके एक सींग वाले भारतीय गैंडा को 37 साल पहले तरार्इ क्षेत्र की जन्मभूमि पर उनको बसाया गया था। किसी वन्यजीव को पुनर्वासित करने का यह गौरवशाली इतिहास विश्व में केवल दुधवा नेशनल पार्क के नाम दर्ज है। भारत सरकार ने आसाम के पावितारा वन्यजीव विहार से दो नर व तीन मादा गैंडा लाकर दुधवा में गैंडा पुनर्वास परियोजना शुरू करार्इ थी। इसमें से दो मादा गैडों की मौत 'शिफटिंग स्टेस' के कारण हो गर्इ थी। परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सन 1985 में सोलह हाथियों के बदले नेपाल सरकार से बातचीत करने के बाद चितवन नेशनल पार्क से चार मादा गैंडों को लाया गया। विश्व की यह एकमात्र ऐसी परियोजना है जिसमें 106 साल बाद गैडों को उनके पूर्वजों की धरती पर पुनर्वासित कराया गया है। गंगा के तरार्इ क्षेत्र में सन 1900 में गैंडा का आखिरी शिकार इतिहास में दर्ज है, इसके बाद गंगा के मैदानों से एक सींग वाला भारतीय गैंडा गायब हो गया था। दुधवा में अपने पूर्वजों की धरती पर पुनर्वासित बांके नामक पितामह गैंडा से हुर्इ वंशबृद्धि से यहां तीस सदस्यीय गैंडा परिवार स्वच्छंद विचरण कर रहा है। एक ही पिता से हुर्इ संतानें चार पीढ़ी तक पहुंच गर्इ हैं। जिनके उपर विशेषज्ञों के अनुसार अनुवांषिक प्रदूषण यानी अन्त:प्रजनन (इनब्रीडिंग) का खतरा मंडरा रहा है। अन्त:प्रजनन के खतरे को लेकर गंभीर हुर्इ प्रदेश की सरकार ने पचास लाख रुपए की कार्ययोजना तैयार की है। इसमें आसाम के कांजीरंगा पार्क से एक नर गैंडा को लाने के साथ ही सोनारीपुर जंगल में पुरानी फैंस के पास छ:ह वर्गकिमी के वनक्षेत्र को नयी फैंस से घेरकर गैंडों के लिए नया घर तैयार कि जाएगा। इस योजना पर माह नवम्बर से कार्य शुरू कर दिया जाएगा। यह योजना कितना परवान चढ़ती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
बताते चलें कि इससे पूर्व गैंडा पुनर्वास परियोजना के योजनाकारों ने तय किया था कि यहां की समषिट में तीस गैंडा को बाहर से लाकर बसाया जाएगा। उसके बाद फैंस हटाकर उनको खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। उनका यह सपना तो पूरा नहीं हुआ वरन गैंडों की बढ़ती संख्या को देखकर समषिट के बृहद फैलाव, आवागमन की सुविधा, अंत:प्रजनन रोकने एवं संक्रामक संहारक तत्वों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उददेश्य से दक्षिण सोनारीपुर में इस समषिट के निकट जंगल में नर्इ फैंस बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया जिसपर स्वीकृति मिलने के बाद इस योजना पर छ:ह साल पहले शुरू किया गया कार्य ठप होकर बजट आने का इंतजार कर रहा है। जीर्णशीर्ण हो चुकी 27 साल पुरानी उर्जाबाड अनुपयोगी हो गर्इ है, लकड़ीचोर व वंयजीवों के सकि्रय शिकारी फैंस के तारों को काट देते हैं इससे भी गैंडो को बाहर निकलने में आसानी रहती है।
दुधवा पार्क प्रशासन द्वारा गैडों की मानीयटरिंग व उनकी सुरक्षा के लिए अलग से हाथी एवं कर्मचारियों का भारी अमला लगाया गया है। लेकिन घनघोर जंगल के भीतर बने रेंज कार्यालय और वन चौकियों पर मूलभूत सुविधाएं उपलव्ध न होने से कर्मचारी अपनी इस तैनाती को कालापानी वाली सजा मानते हैंै। विषम परिसिथयों में वे डयूटी को पूरी क्षमता के बजाय बेगार के रूप में करते हैं। जिससे गैंडों के जीवन पर भारतीय ही नहीं वरन नेपाली शिकारियों की कुदृषिट का हर वक्त खतरा मंडराता रहता है। गैंडा परिवार की रखवाली व सुरक्षा में तैनात कर्मचारियोंं को गैंडों की निगरानी करना तो सिखाया जाता है पर बाहर भागे गैंडा को पकड़कर वापस लाने का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। इन अव्यवस्थाओं के कारण विगत एक दशक से तीन नर एवं दो मादा गैंडा उर्जाबाड़ के बाहर दुधवा नेशनल पार्क क्षेत्र की गेरुर्इ नदी के किनारे तथा गुलरा क्षेत्र के खुले जंगल समेत निकटस्थ खेतों में विचरण करके फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहें हैं। अब्यवस्थाओं एवं कुप्रवंधन के कारण क्षेत्र में गैंडा और मानव के मध्य एक नया संघर्ष जरुर शुरू हो गया है। इसके बाद भी दुधवा नेशनल पार्क प्रशासन द्वारा संरक्षित क्षेत्र के बाहर घूम रहे गैंडों की सुरक्षा एवं उनको फैंस के भीतर लाने के कतर्इ कोर्इ प्रयास नहीं किए जा रहें हैं। जिससे इन गैडों के जीवन पर हरवक्त खतरा मंडराता रहता है। इनके साथ कभी भी कोर्इ अनहोनी हो सकती है, इस बात से कतर्इ इंकार नहीं किया जा सकता है।        

मुआवजा सूची में गैंडा हुआ शामिल
पलिया-खीरी। दुधवा के जंगल के चारों तरफ किनारे पर तमाम गांव आबाद हैं और वनक्षेत्र से सटे खेतों में फैंस तोड़कर बाहर विचरण करने वाले गैंडा लगातार फसलों को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं। बीते दशक में मलिनियां गांव के पास गैंडा एक किसान को मार चुका है। तथा अलग-अलग गैंडों द्वारा किए गए हमलों में पौन दर्जन लोग घायल हो चुके हैं। यूपी की सरकार ने वनपशुओं द्वारा की जाने वाली फसलक्षति व जनहानि की मुआवजा सूची में 26 साल बाद गैंडा को उसमें शामिल कर दिया है। परंतु गैंडा द्वारा पहुंचार्इ जाने वाली फसल क्षति का मुआवजा अभी तक किसी किसान को नहीं दिया गया है। जनहानि एवं फसलों का नुकसान होने के बाद भी उसकी भरपार्इ न मिलने से आक्रोषित ग्रामीण खुले जंगल और खेतों के आसपास घूमने वाले गैंडों को कभी भी क्षति पहुंचा सकते हैं।

दुधवा में नहीं है पशुचिकित्सक
पलिया-खीरी। गैंडा परिक्षेत्र में बाघ के हमलों और गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से अब तक गैंडा के आधा दर्जन बच्चे मौत की भेंट चढ़ चुके हैं। आए दिन नर गैंडो के बीच होने वाले प्रणय द्वन्द-युद्ध में गैंडों के घायल होने की घटनाएं होती रहती हैं। नर गैडोंं की 'मीयटिंग फाइट में घायल हुर्इ एक मादा गैंडा की उपचार के अभाव में असमय मौत हो चुकी है। जबकि दुधवा प्रोजेक्ट टाइगर क्षेत्र में होने वाली मार्ग दुर्घनाओं में अक्सर वन्यजीव घायल होते रहते हैं, इसके बाद भी शासन ने अभी तक न दुधवा नेशनल पार्क में विशेषज्ञ पशु चिकित्सक का पद स्वीकृत किया है और न ही आज तक किसी पशु चिकित्सक की नियुकित की गइ है।

रविवार, 11 सितंबर 2011

लखीमपुर जिला के पलिया थाना पुलिस तथा वन विभाग की टीम ने दो मुहा सांप पकड़ कर तीन तस्करों को गिरफ्तार किया

लखीमपुर जिला के पलिया थाना पुलिस तथा वन विभाग की टीम  ने दो मुहा सांप पकड़ कर
तीन तस्करों को गिरफ्तार किया तवेरा गाडी भी बरामद दो तस्कर भागने में रहे सफल  
 

तीन तस्करों को गिरफ्तार किया

तवेरा गाडी भी बरामद

दो मुंहा सांप बेचकर रातोंरात करोड़पति बनने के लालच में फंसे तीन तस्करों को करोड़ रूपया तो नहीं मिला वरन् यह पुलिस के हत्थे चढ़कर जेल पहुंच गए। ऐसा ही एक वाकया यहां हुआ है जब पांच व्यक्ति दो मुंहा सांप को लेकर बेचने जा रहे थे तब स्थानीय थाना पुलिस ने गाड़ी सहित तीन सांप तस्करों को पकड़ लिया जबकि दो तस्कर भागने में सफल रहे। पुलिस ने वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत अभियुक्तों को जेल भेज दिया है। 
स्थानीय थाना के एसओ राकेश कुमार ने मुखबिर की सूचना पर नार्थ खीरी फारेस्ट डिवीजन की पलिया रेंज के फारेस्टर विजेन्द्र सिंह, वनरक्षक राम नारायण आदि के साथ दुधवा तिराहा पर सीओ आफिस के आसपास नाकाबंदी करके वाहन चेकिंग शुरू कर दी। इस दौरान यूपी 14 एवी-0014 नम्बर की तवेरा गाड़ी तिराहे पर पुलिस को देख दुधवा रोड पर मुड़ गई। इस पर संदेह होने पर पुलिस ने गाड़ी का पीछा कर हवाई पट्टी वाली रोड पर पकड़ लिया। गाड़ी की तलाशी के दौरान सीट के नीचे छिपाकर रखी गई बोरी को खोलकर देखा तो उसमें विलुप्तप्राय वयंजीव जंतुओं की श्रेणी में शामिल दो मुंहा सांप बरामद हुआ। इस दौरान हुई धरपकड़ में दो सांप तस्कर तो भागने में सफल रहे जबकि पुलिस ने बरेली के कस्बा बहेड़ी के मोहल्ला मूसापुर के अयूब अली, थाना निघासन के ग्राम पठाननपुरवा के कुर्बान पुत्र निजामुद्दीन तथा पीलीभीत के मोहल्ला छोटा खुदागंज निवासी राधेश्याम पुत्र लेखराज प्रजापति को गिरफ्तार कर उनके पास से पांच हजार रूपए इंडियन तथा 4800 रूपए नेपाली करेंसी समेत दो मोबाइल बरामद हुए हैं। पुलिस ने टोयटा गाड़ी को सीजकर अभियुक्तों को वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत जेल भेज दिया है। 
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