सोमवार, 24 अगस्त 2009

बाघ की तीन उप प्रजातियाँ हुईं विलुप्त

दुनियाभर में जंगल के राजा कहे जाने वाले बाघों और शेरों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

गुजरात के गिर अभयारण्य में जहाँ हाल ही में ग्रामीणों द्वारा बिजली के करंट से की गई पाँच शेरों की हत्या ने वन्यजीव प्रेमियों को सकते में डाल दिया है, वहीं इंडोनेशिया में विपरीत परिस्थितियों के चलते पिछली सदी में बाघ की तीन उप प्रजातियों का पूरी तरह से नामोनिशान मिट गया है।

विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) शेरों और बाघों की निरंतर घट रही संख्या से परेशान हैं और उसने प्रकृति के इन जाँबाज प्राणियों की रक्षा के लिए अधिक से अधिक कदम उठाने का आह्वान किया है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक पिछली सदी बाघों के लिए खतरनाक रही और वही परिस्थितियाँ अब भी जारी है।

संगठन का कहना है कि पिछली सदी में इंडोनेशिया में बाघों की बाली कैस्पेन और जावा तीन उप प्रजातियाँ पूरी तरह विलुप्त हो गईं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनुसार वन्यजीवों को खतरे के मामले में लगभग पूरी ही दुनिया में हालात एक जैसे हैं और दक्षिणी चीनी बाघ प्रजाति भी तेजी से विलुप्त होने की ओर बढ़ रही है।

संगठन का कहना है कि सरकारी और गैर सरकारी संरक्षण प्रयासों के बावजूद विपरीत परिस्थितियाँ निरीह प्राणियों की जान लेने में लगी हैं। बाघों और शेरों की जान कई बार अभयारण्यों में बाढ़ का पानी भर जाने से चली जाती है तो कई बार सुरक्षित स्थानों की ओर भागने के प्रयास में वे या तो वाहनों के पहियों से कुचले जाते हैं या फिर घात लगाकर बैठे शिकारियों का निशाना बन जाते हैं।

गुजरात के गिर अभयारण्य में हाल के वर्षों में 33 शेरों की जान जा चुकी है। इनमें से कुछ प्राकृतिक कारणों से मारे गए, तो कुछ को ग्रामीणों या शिकारियों ने मार डाला।

हाल ही में एक ग्रामीण परिवार ने गिर अभयारण्य के पाँच शेरों को बिजली के करंट से मार डाला। इस परिवार ने अपने खेतों के इर्द-गिर्द लगाए गए तारों में बिजली का करंट छोड़ रखा था।

अक्टूबर के महीने में असम के ओरांग नेशनल पार्क में ग्रामीणों ने जहर देकर दो बाघों को मार डाला। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों ने वन्यजीवों द्वारा अपने पशुओं पर होने वाले हमलों का बदला लेने के लिए संभवत: ऐसा किया।

पार्क के संरक्षित क्षेत्र के नजदीक रहने वाले ग्रामीणों ने एक भैंस के शव पर जहर छिड़ककर कर उसे जंगल में फेंक दिया। भैंस का माँस खाकर दो बाघों की मौत हो गई। एक बाघ का शव दो अक्टूबर को भाबापुर गाँव के नजदीक पार्क के क्षेत्र में मिला, जबकि दूसरे बाघ का शव इसी क्षेत्र में चार अक्टूबर को मिला।

बाघों और शेरों की संख्या में निरंतर आ रही गिरावट विश्वभर के वन्यजीव प्रेमियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

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